पता नहीं इश़्क कितना अपना पुराना है जबसे देखा खाना ना पीना ना नहाना है मजबूरी में राह चलते हाथ पकड़ लेते है समझ लेता हूँ सब को अपना जनाना है सब कहते कैसा अंधा 'साला' कमीना है ये कैसी है 'उलझन' यह कैसा जमाना है ©Anushi Ka Pitara #बिटवा #जवान #हो #गईल #shaadi