उसका चेहरा है या चांद जमीं पर उतर आया है, उसको नज़रों में बसा कर, जान उसी के नाम कर आया है, कैसा मेहबूब है उसको उसकी जरा भी फिक्र नहीं, वो जो अपनी ज़मीन बेच कर, नाम उसके आसमान कर आया है। - गिरीश राम आर्य: #LastDay #Nojoto #GirishAryah