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शीर्षक :- अब सिर्फ बात होती है सुबह के दीदार के

शीर्षक :- अब सिर्फ बात होती है 


सुबह के दीदार के बाद रात के खाने तक 
थोड़ी थोड़ी वो साथ होती है 
 अब सिर्फ बात होती है

मेरे भेजे हुए मेसेज का जवाब आने
ओर पहले होने वाले इतंजार की अब एक आस होती है 
अब सिर्फ बात होती है 

बातें करती है वो मुझसे 
लेकिन इन बातों में पहले वाली बांते कहा होती है 
अब सिर्फ बात होती है 

सोचता हूं कह दू उसे की नहीं हो पाता
तुझसे एक पल भी दूर रहना
 लेकिन कहूं भी तो केसे क्योंकि 
 अब तो सिर्फ ओर सिर्फ बात होती है 
 एक साथ में रहने वाली उसके आने से पहले वाली 
  वहीं पुरानी रात साथ सोती है 


✍️@deepak_chaperwal #poetry#wirte#dilkealfaz
शीर्षक :- अब सिर्फ बात होती है 


सुबह के दीदार के बाद रात के खाने तक 
थोड़ी थोड़ी वो साथ होती है 
 अब सिर्फ बात होती है

मेरे भेजे हुए मेसेज का जवाब आने
ओर पहले होने वाले इतंजार की अब एक आस होती है 
अब सिर्फ बात होती है 

बातें करती है वो मुझसे 
लेकिन इन बातों में पहले वाली बांते कहा होती है 
अब सिर्फ बात होती है 

सोचता हूं कह दू उसे की नहीं हो पाता
तुझसे एक पल भी दूर रहना
 लेकिन कहूं भी तो केसे क्योंकि 
 अब तो सिर्फ ओर सिर्फ बात होती है 
 एक साथ में रहने वाली उसके आने से पहले वाली 
  वहीं पुरानी रात साथ सोती है 


✍️@deepak_chaperwal #poetry#wirte#dilkealfaz