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जो आंखे कभी हमारा इंतजार करती थी आज वो आंखे किसी औ

जो आंखे कभी हमारा इंतजार करती थी
आज वो आंखे किसी और की नुमाइश कर रही है
जो बाहें कभी हमे सुकून देती थी
वो बाहें किसी और को आगोश में भर रही है

जो हाथ कभी हमारे हाथों को थामते थे
आज वो किसी और को सहारा देते है

जिन होठों की गर्माहट हम महसूस किया करते थे
आज उन होठों पे किसी और के निशान है

जिनकी हर बात में पहले हमारा जीकर होता था 
अब उन बातों में भी किसी और के नाम की पुकार है

जिसे हम कभी अपना समझते थे
वो आज किसी और का गुलाम है

©mahi singh #romanticstory  Ana pandey  Sircastic Saurabh  अdiति  Pyare ji  Prashant Shakun "कातिब"  shayari sad
जो आंखे कभी हमारा इंतजार करती थी
आज वो आंखे किसी और की नुमाइश कर रही है
जो बाहें कभी हमे सुकून देती थी
वो बाहें किसी और को आगोश में भर रही है

जो हाथ कभी हमारे हाथों को थामते थे
आज वो किसी और को सहारा देते है

जिन होठों की गर्माहट हम महसूस किया करते थे
आज उन होठों पे किसी और के निशान है

जिनकी हर बात में पहले हमारा जीकर होता था 
अब उन बातों में भी किसी और के नाम की पुकार है

जिसे हम कभी अपना समझते थे
वो आज किसी और का गुलाम है

©mahi singh #romanticstory  Ana pandey  Sircastic Saurabh  अdiति  Pyare ji  Prashant Shakun "कातिब"  shayari sad
deepthoughts7582

mahi singh

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