जो आंखे कभी हमारा इंतजार करती थी आज वो आंखे किसी और की नुमाइश कर रही है जो बाहें कभी हमे सुकून देती थी वो बाहें किसी और को आगोश में भर रही है जो हाथ कभी हमारे हाथों को थामते थे आज वो किसी और को सहारा देते है जिन होठों की गर्माहट हम महसूस किया करते थे आज उन होठों पे किसी और के निशान है जिनकी हर बात में पहले हमारा जीकर होता था अब उन बातों में भी किसी और के नाम की पुकार है जिसे हम कभी अपना समझते थे वो आज किसी और का गुलाम है ©mahi singh #romanticstory अdiति Pyare ji Prashant Shakun "कातिब" shayari sad