फुर्सत मिले कभी तो, फुर्सत मिले कभी तो, खुद को पेहचान लेना, थोडे खाब बून लेना, सिरहाने तले एक दीप जला लेना, जब तन्हा सा मन उदास हो जाए , थोडा खुद को समझा लेना, वक़्त वो गुजर गया है, जैसे मनो वसन्त गया, और अब इस मुरझाए हुये चेहरे पर, बेरंगत फैली है, फिरभी पेहचान अभी वही है, धैर्य की चादर से खुद को बचा लेना, फुर्सत मिले कभी तो, खुद को पेहचान लेना। #आओ जरा खुद से मिलो