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मस्त मस्त बहार है, बरखा की फुहार है, प्राकृतिक स


मस्त मस्त बहार है, 
बरखा की फुहार है,
प्राकृतिक सुख-सार है,
मूल्यवान  उपहार है।

बरखा बङी सुहानी है
कहो ना केवल पानी है 
एक जटिल प्रक्रिया है
पूरी एक कहानी है ।

बरखा नभ का उपकार है
पृथ्वी का श्रृंगार है ,
कहने को जलधार है,
जीवन का आधार है ।।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj
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