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बारूद सिला(नमी )हैँ, हवा न दे, आग न दे कब फटेगा,

बारूद सिला(नमी )हैँ, 
हवा न दे, आग न दे 
कब फटेगा, कोई नहीं जानता 
केले के पत्ते पे, दाग न दे 

सब्र का मतलब न समझ  मजबूरी 
ज़मीर कहीं मेरा भी जाग न ले 
चमन तेरा भी बचेगा कहाँ, 
मेरी मेहनत से सींचा बाग़ न ले

©Kamlesh Kandpal
  #Sbra