Nojoto: Largest Storytelling Platform

ग़म-ए-आशिक़ी से कह दो रह-ए-आम तक न पहुँचे मुझे ख़

ग़म-ए-आशिक़ी से कह दो रह-ए-आम तक न पहुँचे 
मुझे ख़ौफ़ है ये तोहमत तिरे नाम तक न पहुँचे 

मैं नज़र से पी रहा था तो ये दिल ने बद-दुआ दी 
तिरा हाथ ज़िंदगी भर कभी जाम तक न पहुँचे 

वो नवा-ए-मुज़्महिल क्या न हो जिस में दिल की धड़कन 
वो सदा-ए-अहल-ए-दिल क्या जो अवाम तक न पहुँचे

ग़म-ए-आशिक़ी से कह दो रह-ए-आम तक न पहुँचे मुझे ख़ौफ़ है ये तोहमत तिरे नाम तक न पहुँचे मैं नज़र से पी रहा था तो ये दिल ने बद-दुआ दी तिरा हाथ ज़िंदगी भर कभी जाम तक न पहुँचे वो नवा-ए-मुज़्महिल क्या न हो जिस में दिल की धड़कन वो सदा-ए-अहल-ए-दिल क्या जो अवाम तक न पहुँचे

27 Views