मुझे जैसा इश्क़ हुआ हैं, वैसे तुझे हो जाएं तो अच्छा हैं , बूझे हुए चेहरे का हाल क्या जानना, तेरी भी नींद हराम हो जाएं तो अच्छा हैं वो दिल से खेल रहे थे मेरे, उनके भी दिल से कोई यू खेल जाएं तो अच्छा हैं, दिल्लगी का मर्ज़ लाइलाज़ हैं, कोई और दर्द मिल जाएं तो अच्छा हैं, वक़्त के साथ उड़ जाती हैं यह आशिक़ी की गर्द, किसी पर ना पड़ें ये तो अच्छा हैं, मेरे चश्म में वो पिन्हा हैं, दरिया बन के ना उभरे तो अच्छा हैं, तअरसुर उनका मुझ पर कम हो रहा हैं, यह तख़य्यूल ना हो तो अच्छा हैं, हो किस्से-कहानियों में इश्क़, असल में किसी को ना हो तो अच्छा हैं, मेरी वफ़ा का कफ़्फ़ारा ना पूछो, तुम्हें माफ़ कर दिया यही तुम्हारें लिए अच्छा हैं, सुन 'हबीब' मेरी ये बात , इश्क़नामा अफसानों में ही अच्छा हैं ।। मुझे जैसा इश्क़ हुआ हैं, वैसे तुझे हो जाएं तो अच्छा हैं , बूझे हुए चेहरे का हाल क्या जानना, तेरी भी नींद हराम हो जाएं तो अच्छा हैं वो दिल से खेल रहे थे मेरे, उनके भी दिल से कोई यू खेल जाएं तो अच्छा हैं,