उनकी हसरतो की मंजीले बनाते बनाते, हमारे अरमानों के घरोंदे बीखरने लगे, सूरते बदल गई हमारी उस मासूम चेहरे की फिक्र में, वरना आईने की औकात जो हमे डराने लगे!! अंकित चारण.... अंकित चारण