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कौन हूँ , क्या हूँ , कहाँ हूँ , कैसी हूँ , क्या फ़र

कौन हूँ ,
क्या हूँ ,
कहाँ हूँ ,
कैसी हूँ ,
क्या फ़र्क पड़ता हैं ;
.
.
जिस रास्ते पे
निकली थीं खुद की
तलाश में ,
वो रास्ता छोटा और सरल ही हो
ऐसा जरुरी तो
नहीं हैं  //- मेरा डर कभी-कभी मुझमे इस क़दर घर कर जाता हैं उस वक़्त मुझे उजाले में भी अंधकार सा नज़र आता है ।

जो मुझे मिला भी नहीं अभी तक मेरा दिल उसे भी खोने से घबराता है , मेरा डर मेरी तक़्लीफो का अंदाजा कहा लगा पाता है ।
चीखती हूँ , चिल्लाती हूँ , रोती हूँ , लेकिन मेरे डर को मेरे अयाल पर तरस कहा आता है ।

सोचती हूँ के क्या किया जा सकता हैं , क्या ऐसे ही डर के साथ जिया जा सकता है ?

बंद कमरे में , बत्तियां बुझा कर , खुद में , सवालों में , क्या उस अन्दर के शौर से लड़ा जा सकता है ?
कौन हूँ ,
क्या हूँ ,
कहाँ हूँ ,
कैसी हूँ ,
क्या फ़र्क पड़ता हैं ;
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जिस रास्ते पे
निकली थीं खुद की
तलाश में ,
वो रास्ता छोटा और सरल ही हो
ऐसा जरुरी तो
नहीं हैं  //- मेरा डर कभी-कभी मुझमे इस क़दर घर कर जाता हैं उस वक़्त मुझे उजाले में भी अंधकार सा नज़र आता है ।

जो मुझे मिला भी नहीं अभी तक मेरा दिल उसे भी खोने से घबराता है , मेरा डर मेरी तक़्लीफो का अंदाजा कहा लगा पाता है ।
चीखती हूँ , चिल्लाती हूँ , रोती हूँ , लेकिन मेरे डर को मेरे अयाल पर तरस कहा आता है ।

सोचती हूँ के क्या किया जा सकता हैं , क्या ऐसे ही डर के साथ जिया जा सकता है ?

बंद कमरे में , बत्तियां बुझा कर , खुद में , सवालों में , क्या उस अन्दर के शौर से लड़ा जा सकता है ?
thvachl2514

thvachl ;

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