वैदेही वनवास वैदेही सुंदरता, मानवता, ममता और पतिव्रता की प्रतिमूर्ति थीं। राम के महल को त्याग कर बाल्मीकि आश्रम में शरण ली थी। बाल्मिकी आश्रम ब्रम्हचर्य में रत एवं छात्रा गणों से परिपूर्ण था। विद्यालय, तपोभूमि, आनंदमई और अति पवित्र- पावन स्थान था। वैदेही अपनी भक्ति भाव के कारण ही मूर्ति मती जानी जाती थी। पहचान छुपाकर आश्रम में रहती पर सभी की सेवा करती थीं। राम वियोग में सदा ही दुखी रहती थीं ध्यान में राम के रहती थीं। कभी पक्षियों को दाना खिलाती, चींटियों को आटा डालती थीं। पशु पक्षियों से प्यार करती ममता हृदय में उनके अपार भरी थी। जनक नंदिनी कोमल, सहृदय वाली सदा सबका भला करती थीं। लव-कुश को जाया सत्य छुपाकर ममता की छांव में वीर बनाया। आश्रम की सभी निवासिनी मोहित थीं सीता के सरल स्वभाव पर। सब जन ध्यान रखते थे खुद से भी ज्यादा जब वैदेही वनवास में थीं। ना जानती थी वैदेही का परिचय पर सभी दिल से अपना मानती थीं। -"Ek Soch" #पंचपोथी #दीपावली_साहित्य_उत्सव #दीपावली_पंचपोथी #कोराकागज #रचना का सार #yqdidi #yqbaba