#(मंदसौर) मानवता हुई शर्मसार,तनिक भी लज्जा बची नहीं बलात्कार पर बलात्कार, सर्वत्र ये विश फैल रही कितनों को दंड देंगे चुन-चुन कर,एकही बार संघार करो धरो रूप रणचण्डी का तुम,माँ श्रृष्टि का उद्धार करो। छोटे-छोटे बच्चे हैं,दूध का दांत भी टूटा कहाँ उनको भी नहीं छोड़ा इन दानवों ने,नोंच-नोंच कर खाया है शब्द कहाँ है उसके खातिर,निर्ममता का सीमा पार किया धरो रूप रणचण्डी का तुम,माँ श्रृष्टि का उद्धार करो। बलात्कार सदृश नीचता पर भी,देखो लोग राजनीति करें जाति-पाति और स्वहित साधने से,कहाँ कोई परहेज करे सत्ता पक्ष और विपक्ष देखो,सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप करे कम से कम इसको तो बक्सो,इस पर ना राजनीति करो धरो रूप रणचण्डी का तुम,माँ श्रृष्टि का उद्धार करो। काम,क्रोध, मद,लोभ में देखो,लोक कितने रमे हुए मानवता और दया धर्म, सब पुरानी बात हुई कहें लोग ये घोर कलयुग है,अब ऐसा ही होगा ऐसा है तो फिर फटो हे धरती,सबको अपने आगोश धरो धरो रूप रणचण्डी का तुम,माँ श्रृष्टि का उद्धार करो। नीचता है निम्नतम पर,और कितना गिरेगा ये जिस धरती पर नारी पूजित है,वहाँ कहीं ऐसा हो किससे बोेलें,कौन सुनेगा,और कौन इसका प्रतिकार करे अब आश एक तुम्हीं से है,तुमही तो समाधान करो धरो रूप रणचण्डी का तुम,माँ श्रृष्टि का उद्धार करो। #मंदसौर