ज़िदगी को कहाँ कोई समझा है,बड़ी उलझी सी इसकी बनावट है चंद लफ्ज़ों की ये अधूरी कहानी है,बड़ी आड़ी-तिरछी इसकी लिखावट है इस सफ़र की कहाँ कोई मँज़िल है,कुछ रिश्तों की बस गर्माहट है कभी सफ़र मँज़िल से भी ख़ूबसूरत है,कभी राहगुज़र ही मँजिल में रूकावट है... Abhishek Trehan Collab karein humare sath aur apne halato ki zanjeero ke tale apne shabdo se tode... Font:- Handlee regular Size:- 13 #rzhinglish #rzzanjeer #yqdidi #restzone #collabwithrestzone #yqrz #YourQuoteAndMine Collaborating with Rest Zone #sangeetapatidar