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ढाई महीने और सवा लाख का इंतज़ाम, नींद दी त्याग,

  ढाई महीने और सवा लाख का इंतज़ाम,
नींद दी त्याग, अपने सपनों को कराना इंतज़ार,
एक ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करना जो बार बार
अपनी ज़ुबान से मुकरे, इस सबक की कीमत
है सवा लाख।।
इसके बाद अब सब बदल गया
मैं बदल गया ,
क्योंकि इस जुर्माने का इतना दुख नहीं
जितना अपने सपनों को पूरा
करने में हुई अचानक इस देरी का है,

©Akhil Kael
  #samay मेरा नष्ट हुआ
akhilkael0764

Akhil Kael

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#samay मेरा नष्ट हुआ #Poetry

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