मेरे प्यारे कर ले चेता, तेरे बात भले की कहता (1) सतगुरू का करले खोजा, जो करते शब्द संग मौजा (2) उन सेवा में लग जाना, ले मालिक उनको जाना (3) साकार रूप स्वामी आये, वे शब्द की न्यामत लाये (4) सेवा से खुश कर लेना, तन मन धन चरनन देना (5) कर चरनामृत का पाना, तेरे पाप सभी नश जाना (6) उन परशादी नित खाना, तेरे भर्म सभी हट जाना (7) तूँ आरत उनकी करना, उन रूप हिये में धरना (8) वे कहें सोई तुम करना, हो जाओ उनकी शरणा (9) खुश होके देंगे नामा, तुम घट में नित्त कमाना (10) नित भजन ध्यान तू करना, सुमिरन में मन को ज़रना (11) उन बिन दीखे ना कोई, दिन रात रहो उन जोई (12) सब जीवन को सुख देना, मन वचन शुद्ध कर लेना (13) सब में है स्वामी अंशा, तूँ गहले हँसा भेषा (14) मन के विकार तज देना, तब नाम अमी रस लेना (15) मद्य माँस त्याग तुम देना, खाना निज हक़ का लेना (16) पर हक़ को नाहीं खाना, नहीं चौरासी भरमाना (17) सतसंग में करले चेता, कर दर्शन गुरू का हेता (18) त्राटक कर निरखो नैना, फिर प्रेम सहित सुनो बैना (19) फिर बैठो नित उन ध्याना, तब अन्तर छबि को पाना (20) राधास्वामी नाम करो जापा, त्यागो तुम मन का आपा (21) जब चित्त शुद्ध होय तेरा, सतगुरू कर लेंगे डेरा (22) देंगे तुझे अन्तर झांकी, खोलेंगे तीसर आँखी (23) छुट जावे जग की भटकन, पत्थर और पानी अटकन (24) गुरू भक्ति गहलो धारी, तब पावो अन्तर धारी (25) घट शब्द की आती धारा, नभ उलट चढ़ो भव पारा (26) दल सहँस कँवल लख लेना, फिर त्रिकुटी शब्द सुन लेना (27) कर लेना सुन्न को पारी, ऊपर आती सत धारी (28) फिर ऊपर को चढ़ धाना, गढ़ अलख अगम को पाना (29) राधास्वामी नाम धियाना, वह सच्चा तेरा ठिकाना (30) तज देना पिछली टेका, राधास्वामी धाम लो देखा (31) राधास्वामी पुरुष पुराना, तुम उसमें जाय समाना (32) राधास्वामी जी प्रीति बानी 1-197 चेत कर नर चेत कर ।