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एक वक़्त था ,जब मिन्नतो कोशिशो के बाद भी वो मे

एक वक़्त था  ,जब  मिन्नतो कोशिशो  के बाद भी 
वो मेरी कोशिश नही समझते थे ,
मेरे जरा से झुकने पे वो अपना कद और ऊँचा करते थे,
फिर  मेरा सब्र का बांध मानो टूट  गया
मेरे जुबां में मोजूद हर एक  मीठा लफ्ज़ उनसे  रूठ गया,
फिर क्या!
 "मैंने आवाज ऊँची  करदी
 और  अब  प्यार से वो उधार देते है"
मैं अगर सूरज को चाँद कहूँ 
तो वो इस बात पे भी हामी भरते है। #कहतेहै
एक वक़्त था  ,जब  मिन्नतो कोशिशो  के बाद भी 
वो मेरी कोशिश नही समझते थे ,
मेरे जरा से झुकने पे वो अपना कद और ऊँचा करते थे,
फिर  मेरा सब्र का बांध मानो टूट  गया
मेरे जुबां में मोजूद हर एक  मीठा लफ्ज़ उनसे  रूठ गया,
फिर क्या!
 "मैंने आवाज ऊँची  करदी
 और  अब  प्यार से वो उधार देते है"
मैं अगर सूरज को चाँद कहूँ 
तो वो इस बात पे भी हामी भरते है। #कहतेहै