हैवानियत पर उतरते देखा हैं... हमने "शरीफों" को भी जुर्म करते देखा हैं...!! अब किसी पर यकीं करना मुनासिब नहीं यहाँ... हमने अच्छे - अच्छों को "जुबाँ" से मुकरते देखा हैं...!! गैरों से अब क्या ही उम्मीद रखना... हमने "दौलत" की खातिर अपनों को भी हद से गुजरते देखा हैं...!! तुम इंसानों की भला क्या बात करते हो "आशीष"... हमने तो "वफ़ा" को भी सरेआम मरते देखा हैं...!! ©Ashish Mishra #AloneInCity #S_KILLER