छुप छुप कर मिल लो, या छुपा लो मुझे पलकों में, मैं आंखो में तेरे, एक घर चाहता हूं, मैं कुछ वक्त का मोहताज नहीं, तेरे जीवन का सफर चाहता हूं, अगर साथ ना मिल पाए तेरा, तो मैं बस एक नजर चाहता हूं, बातों का वक्त ना भी हो तो, मैं तेरे इशारों का असर चाहता हूं, कुछ मांग लिया हो ज़्यादा तुमसे, तो माफ करना बस मैं तुम्हारा हर पल चाहता हूं।। मैं इश्क नहीं, इबादत मांग रहा हूं, कोई ज़िद्द या जबरदस्ती नहीं, इजाज़त मांग रहा हूं, अगर वक्त लगे तुम्हे समझने में भी, तो तुमसे दोस्ती की हिमाकत मांग रहा हूं, मैं तुम पर बस अपना छोटा ही सही, एक हक़ मांग रहा हूं,