चुप हैं किसी बात पर। मुलाकातें हमारी कुछ दिनों से, ज़रा अलग सी ख़त्म होती हैं ठहाकों में गुज़री साथ शामें, रात आते ही वो तन्हा होती नज़रें नम होती हैं कल तक थी जिनकी चर्चा बेधड़क बोलने की, उनकी चुप्पी से वो आज बदल रहा है श़ायद बदलते मौसम के साथ, उनकी धड़कनों का मिज़ाज बदल रहा है हम सोच रहे हैं के कितना करीब बैठें, और वो करीब बैठ के कुछ सोच रहे हैं आँखों में उनकी तो दिख रहे हैं अल्फ़ाज़, लबों पे ना जाने वो क्या खोज रहे हैं मुलायम घास के तिनकों पे बैठे, हल्की सर्द वाली धूप में गुम से नज़र आते हैं पलटके घूमे तो लगा कुछ कहना है, पर वो मुस्कुराके बस दाँतों-तले नाख़ून चबाते हैं जज़्बात गले तक भर आए हैं, लगता है जल्द ही बदलेंगे हालात ये जिस तरह हैं आस लिए ख़्यालों में ख़ामोश़, वो चुप हैं किसी बात पर कुछ तो वज़ह है। - आशीष कंचन #चुपहैं #yqdidi #collab #friendship #love #fifthquote #yqshayari #yqpoetry