तेरी नज़रों का जादू, मुझ पर इस कदर कर गया, मेरे दिल ही नहीं दिमाग पर भी, असर कर गया, भटकता रहा उम्र भर, जिस निगाह की तलाश में, मिटाकर मेरे दिल के अँधेरे को, सहर कर गया। तेरी नज़रों का जादू ही, मुझे आशिक बनाया है, फ़क़त इक टूटे हुए तारे को, फलक पर सजाया है, नज़रें इनायत, अंजान राह को रहगुज़र कर गया, ये कैसा असर, जो मन मस्तिष्क में घर कर गया। 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या - 15. है, आप सब को दिए गए शीर्षक के साथ Collab करना है..! 👉 आप अपनी रचनाओं को आठ पंक्तियों (8) में लिखें..! 👉Collab करने के बाद Comment box में Done जरूर लिखें,और Comment box में अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें..! 👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!