बैठा जो यूं शांत हूं, बेटा समझ ना मै आम हूं, तेरे सोच से भी ज्यादा खास हूं , वक्त है बुरा हां इसलिए थोड़ा उदास हूं, बोल सकता तेरे जैसे ही बात हूं, पर किसी को छोटा समझू बेटा इतना ना बेकार हूं, इंतेजार में उस शाम हूं, अपने मां बाप का करता वो ऊचा नाम हूं, तू बैठा ढूंढता मुझमें बुराई बेटा सुन किसी का बन बैठा मैं शान हूं, और अपने बुरा वक्त से ही लड़ता मैं वो आग हूं। 😏 mr.dhankar #Fire #Aukaat😎