|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9
|| श्री हरि: ||
7 - सब में भगवान
'हम कहाँ जा रहे हैं?' सभी के मन में यही प्रश्न था। सभी के मुख सूख गये थे। वे दुर्दान्त, निसर्गतः क्रूर दस्यु, जिन्होंने कभी किसी की करुण प्रार्थना एवं आर्त चीत्कार पर दया नहीं दिखायी, आज़ इस समय बार-बार पुकार रहे थे - 'या खुदा! या अल्ला!'
दस्युपोत था वह। उन्होंने रात्रि के अन्धकार मॅ सौराष्ट्र के एक छोटे ग्राम पर आक्रमण किया। बडी निराशा हुई उन्हें। पता नहीं कैसे उनके आक्रमण का अनुमान ग्रामवासियों ने कर लिया था। पूरा ग्राम जन शुन्य था। भवनों के द्वार खुले पड़े थे। न सामग्री हाथ लगी, न पशु और न मनुष्य ही। अपनी असफलता, कारण दस्यु चिढ़ उठे। बार-बार वे हाथ-पैर पटकते और दांतों से होंठ काटते थे - 'ये काफिर.......' व्यर्थ था उनका रोष।