The horrible day खार-खार वक्त के दरक-दरक गए शीशों में उभरते-कँपते-लहरते /धुंधलते-बिगड़ते-बनते, फिर... ग़ुम हो जाते ज़ार-ज़ार रिश्तों के तार-तार अक्श- आखिर, उन रौशन लम्हों के ही साए हैं न दोस्त, फख़्र कभी तुम्हें था जिसपर और मुझे भी.... @manas_pratyay #Horrible #कविताई #कविता_फख़्र_कभी_तुम्हें_था_जिस_पर @manas_pratyay©ratan_kumar