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कब तक यूं ही खुद को भुलाते रहोगे, बहलाते रहोगे अंध

कब तक यूं ही खुद को भुलाते रहोगे, बहलाते रहोगे
अंधेरे रास्तों पर निरुत्तर, निरुद्देश्य जाते रहोगे?
कब तक यूं ही दिन गवाते रहोगे, कहो कब तक
बेमतलब की बातों में दिल लगाते रहोगे?
कब तक यूं ही मेहरबानियां को प्यार कहोगे
और सच्चे रिश्ते तराशते हुए क्या कुछ खोओगे?
कब तक यूं ही चेहरे पर चेहरा लगाकर चलोगे
नाकामियों को अपनी मजबूरी का नाम देते रहोगे?
कब तक यूं ही सब कुछ समझ कर नासमझ रहोगे
धनुष गिरा कर रणभूमि में अर्जुन तुम कैसे जिओगे?

 कब तक यूं ही खुद को भुलाते रहोगे, बहलाते रहोगे
अंधेरे रास्तों पर निरुत्तर, निरुद्देश्य जाते रहोगे?
कब तक यूं ही दिन गवाते रहोगे, कहो कब तक
बेमतलब की बातों में दिल लगाते रहोगे?
कब तक यूं ही मेहरबानियां को प्यार कहोगे
और सच्चे रिश्ते तराशते हुए क्या कुछ खोओगे?
कब तक यूं ही चेहरे पर चेहरा लगाकर चलोगे
नाकामियों को अपनी मजबूरी का नाम देते रहोगे?
कब तक यूं ही खुद को भुलाते रहोगे, बहलाते रहोगे
अंधेरे रास्तों पर निरुत्तर, निरुद्देश्य जाते रहोगे?
कब तक यूं ही दिन गवाते रहोगे, कहो कब तक
बेमतलब की बातों में दिल लगाते रहोगे?
कब तक यूं ही मेहरबानियां को प्यार कहोगे
और सच्चे रिश्ते तराशते हुए क्या कुछ खोओगे?
कब तक यूं ही चेहरे पर चेहरा लगाकर चलोगे
नाकामियों को अपनी मजबूरी का नाम देते रहोगे?
कब तक यूं ही सब कुछ समझ कर नासमझ रहोगे
धनुष गिरा कर रणभूमि में अर्जुन तुम कैसे जिओगे?

 कब तक यूं ही खुद को भुलाते रहोगे, बहलाते रहोगे
अंधेरे रास्तों पर निरुत्तर, निरुद्देश्य जाते रहोगे?
कब तक यूं ही दिन गवाते रहोगे, कहो कब तक
बेमतलब की बातों में दिल लगाते रहोगे?
कब तक यूं ही मेहरबानियां को प्यार कहोगे
और सच्चे रिश्ते तराशते हुए क्या कुछ खोओगे?
कब तक यूं ही चेहरे पर चेहरा लगाकर चलोगे
नाकामियों को अपनी मजबूरी का नाम देते रहोगे?
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