यह महज़ एक इत्तेफाक ही तो हैं कि किसी के फेके हुए कचरे से जरूरत कि चीज़ें नहीं ढूंढनी पड़ रही, बचपन को बालपन में ही नहीं छोड़ना पड़ रहा, रात को सोने के लिए छत मिलेगी भी या नहीं इसकी चिंता नहीं करनी पड़ रहीं, पर अगर इसको सही ढंग से समझा जाए तो ये इत्तेफाक़ हमारे लिए ज़िम्मेदारी लाता है, ज़िम्मेदारी इत्तेफाक़ से मजबूर हुए लोगों को हमारे जैसे इत्तेफाक़ का हकदार बनाने की। ©Priya Sahu #इत्तेफाक़#बचपन#helping_each_other#जिम्मेदारी#हक