माहौल कुछ बिगड़ सा राह है। आदमी -आदमी पर जुल्म कर रहा है। कभी मंदिर तो कभी मस्जिद के बहाने। बस अब तो हर दिन ही ये ही मुद्दा है(१) बंधे है हाथ कानून के । नेतागिरी ही असली धंधा । किसी को कुछ समझ नही आए कैसा ये गोरख धंधा है।(२) मासूम,गरीब और लाचारी पर। कैसा ये आफत का कहर है। खाने को कुछ नही है। 'नवीन 'फिर वो मजबूरी में जिंदा है। जैन नवीन ©Naveen Jain टॉपिक - हालात #holdinghands