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क्या ये आजादी है कैसी आजादी किसकी आजादी कब हुई आज

क्या ये आजादी है

कैसी आजादी किसकी आजादी कब हुई आजादी,
लोग जश्न मना कर क्यों कर रहे वक्त की बरबादी।
कैसी आजादी किसकी ……………………. 
गरीब भूखा मर रहा अनाज गोदामों में सड़ रहा है,
कर्जे के बोझ तले दबा किसान आत्महत्या कर रहा है, 
किसी अनहोनी से हर कोई सहमा सा डर रहा है,
ये विडम्बना पैदा होते बच्चे के सिर कर्ज चढ़ रहा है,
70 वर्षों बाद भी दहशत में है देश की आधी आबादी।
कैसी आजादी किसकी...................................
जरा गोर से देखो तो सारा सिस्टम ही फेल लगता है,
अब उपर से नीचे तक सिर्फ पैसे का खेल लगता है,
इमानदार वफादार के लिये हिंदुस्तान जेल लगता है,
दुष्ट आत्माओं का इस जमीं पर हो रहा मेल लगता है,
अब मसीहा बन रहे चुगल चम्मचें चोर उच्चके शराबी। 
कैसी आजादी किसकी ………………………….
सही मायनों में आजाद हुआ विशाल अजगर भ्रष्टाचार,
आजाद हुए रिशवतखोर बेईमान देशद्रोही कपटी गद्दार,
खुली हवा वो साँस ले रहे जिनका नफरत का कारोबार,
देश के जो कट्टर दुश्मन उनके गलों डलते फूलों के हार,
हर बड़े ताले को अब तो खोल रही है भ्रष्टाचार की चाबी। 
कैसी आजादी किसकी …………………………. 
भारत माता रो रो कर अब अपना दुखड़ा सुनाती है,
मुझको तो आजादी कहीं पर भी नजर नही आती है 
बेरोजगार मायूस बच्चे को देख कर मां आंसू बहाती है,
दूर दूर तक आशा की कोई किरण झलक न दिखाती है,
जनता अब अश्वासन के दम से देखती ख्वाब गुलाबी। 
कैसी आजादी किसकी .................... रैना "

©Rajinder Raina क्या ये आजादी है

#droplets
क्या ये आजादी है

कैसी आजादी किसकी आजादी कब हुई आजादी,
लोग जश्न मना कर क्यों कर रहे वक्त की बरबादी।
कैसी आजादी किसकी ……………………. 
गरीब भूखा मर रहा अनाज गोदामों में सड़ रहा है,
कर्जे के बोझ तले दबा किसान आत्महत्या कर रहा है, 
किसी अनहोनी से हर कोई सहमा सा डर रहा है,
ये विडम्बना पैदा होते बच्चे के सिर कर्ज चढ़ रहा है,
70 वर्षों बाद भी दहशत में है देश की आधी आबादी।
कैसी आजादी किसकी...................................
जरा गोर से देखो तो सारा सिस्टम ही फेल लगता है,
अब उपर से नीचे तक सिर्फ पैसे का खेल लगता है,
इमानदार वफादार के लिये हिंदुस्तान जेल लगता है,
दुष्ट आत्माओं का इस जमीं पर हो रहा मेल लगता है,
अब मसीहा बन रहे चुगल चम्मचें चोर उच्चके शराबी। 
कैसी आजादी किसकी ………………………….
सही मायनों में आजाद हुआ विशाल अजगर भ्रष्टाचार,
आजाद हुए रिशवतखोर बेईमान देशद्रोही कपटी गद्दार,
खुली हवा वो साँस ले रहे जिनका नफरत का कारोबार,
देश के जो कट्टर दुश्मन उनके गलों डलते फूलों के हार,
हर बड़े ताले को अब तो खोल रही है भ्रष्टाचार की चाबी। 
कैसी आजादी किसकी …………………………. 
भारत माता रो रो कर अब अपना दुखड़ा सुनाती है,
मुझको तो आजादी कहीं पर भी नजर नही आती है 
बेरोजगार मायूस बच्चे को देख कर मां आंसू बहाती है,
दूर दूर तक आशा की कोई किरण झलक न दिखाती है,
जनता अब अश्वासन के दम से देखती ख्वाब गुलाबी। 
कैसी आजादी किसकी .................... रैना "

©Rajinder Raina क्या ये आजादी है

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