इस बदलते दौर में एक खुदा मस्जिदों में बुलाता रहा आदम जात को एक मसीहा खड़ा मुस्कुराता रहा आधी रात को एक पुजारी जो घंटी बजाता रहा आधी रात को वह झूठा मुंसिफ अदालत में गाता रहा कानून की गाथा और इसी शोर में काली चादर ओढ़े कुछ पापी इस घनी अंधेरी रात में ज़ुल्म करते रहे और पाप की एक अंधेरी घनी रात में ज़ुल्म जालिमों के कोई छुपाता रहा कोई....... ✍मजलिस ख़ान आधी रात.....