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जो चढ़ कर उतरता ही नहीं ध

                       जो चढ़ कर  उतरता ही नहीं 
धड़कने बढ़ जाती है उन्हें देखते ही दिल संभलता ही नहीं न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है 
अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है -
फैज अहमद फ़ैज़ साहब
  अब नज़रों को ही छुपाना पड़ेगा   
रास्ता बदल कर जाना पड़ेगा
इक रंग मोहब्बत का
इक रंग इबादत का...
#रंगमोहब्बतका #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
                       जो चढ़ कर  उतरता ही नहीं 
धड़कने बढ़ जाती है उन्हें देखते ही दिल संभलता ही नहीं न गुल खिले हैं न उन से मिले न मय पी है 
अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है -
फैज अहमद फ़ैज़ साहब
  अब नज़रों को ही छुपाना पड़ेगा   
रास्ता बदल कर जाना पड़ेगा
इक रंग मोहब्बत का
इक रंग इबादत का...
#रंगमोहब्बतका #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine