'Silence of the tears' 'हमारे खामोश आंसू' दोस्तों आज मैं पहली बार अपनी एक नज़्म सुना रहा हूं हमेशा चाहा तो यह कि मैं अपनी नज़्म सबसे पहले आदरणीय गुलजार जी जो मेरे महबूब हैं, उन्हें सुनाऊंगा, उनका हाथ थाम कर। मेरी ज़हन ओ दिल पर नज़्म की दस्तक गुलजार साहब के अल्फाज़ॊं ने ही दी थी मेरी पहली नज़्म 'नज़्म की दस्तक' और दूसरी नज़्म 'अल्फाजों का तिलिस्म' मैंने गुलजार साहब के इश्क में ही लिखी हैं। लेकिन आज मैं अपनी एक छोटी सी नज़्म आपको सुना रहा हूं