मैं बदनाम हूँ मुझे बदनाम ही रहने दो क्या करोगें मुझमें अच्छाइयाँ निकल कर बेलगाम हूँ मुझे बेलगाम ही रहने दो ये जो तुम हर रोज नया तानाबाना बुनते हो सच है कड़वा है पर आज मुझे कह लेने दो तरक़ीब कितनी लगाई तुमने मुझे बुरा बताने में हर रोज एक नया इल्ज़ाम लगाने में तो इसमें फ़िक़्र की बात क्या ,हमें तो खूब लगा उम्र बीत जाती है कुछ इस तरह नाम कमाने में आशीष शुक्ल कृष्ण आर्या #kavyapanjh#slpash2020