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पुराने शहरों के मंज़र निकलते हैं.. ज़मीं ज



  पुराने शहरों के मंज़र निकलते हैं..
    ज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलते हैं!

हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़र..
सितारे धूप पहनकर निकलते है!

          कमली बुरे दिनों से बचाना मुझे..
          क़रीबी दोस्त भी बचकर निकलते हैं!

          पहले दुआये होती थी दवाएं होती थी..
          आजकल साधुओं की झोलियों में बम निकलते है! #दुआएँ 
#दवाएं 
#yourquotebaba 
#yourquotedidi 
#yourquotes 
#yourquotediary


  पुराने शहरों के मंज़र निकलते हैं..
    ज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलते हैं!

हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़र..
सितारे धूप पहनकर निकलते है!

          कमली बुरे दिनों से बचाना मुझे..
          क़रीबी दोस्त भी बचकर निकलते हैं!

          पहले दुआये होती थी दवाएं होती थी..
          आजकल साधुओं की झोलियों में बम निकलते है! #दुआएँ 
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