खुद पर नाराज़गी कब होती है? जब माँ पिता का ध्यान नहीं रख पाता जब रूठे दोस्तों को मना नहीं पाता जब भैया को मज़ाक में कुछ ज्यादा बोल जाता जब दीदी के कॉल का जवाब नहीं दे पाता ।।तब होती है ख़ुद पर नाराज़गी।। जब प्रभु का नाम नही ले पाता जब संतों संग बैठ नहीं पता जब लोगों को कुसंग में देखता जब गरीब कमजोरों की मदद नहीं कर पाता। ।।तब होती है ख़ुद पर नाराज़गी।। इन सब को मैं कर नहीं पाता ,ये तो बस एक बहाना है। कारण तो इसका एक मात्र दृढ़ इक्षाशक्ति का कम हो जाना है।। #खुद पर #नाराज़गी #कब #होती है? #जब #माँ #पिता का #ध्यान #नहीं #रख #पाता जब #रूठे #दोस्तों को #मना नहीं पाता जब #भैया को #मज़ाक में कुछ #ज्यादा बोल जाता जब #दीदी के #कॉल का #जवाब नहीं दे पाता ।।तब होती है ख़ुद पर नाराज़गी।।