जब भी बैठती हूँ मैं तन्हा, दिल को बेहद तड़पाते हो तुम दिल खिंचा जाता तुम्हारी ओर, बहुत याद आते हो तुम ये यादें अब बन गई हैं, हमारे जीने का सहारा यादों में ही सही, हमारा प्यार याद दिलाते हो तुम ये तन्हाइयाँ हमें अब, रास आने लगीं इनमें ही हमसे, रूबरू हो जाते हो तुम ♥️ Challenge-584 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।