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"रिमझिम बारिश" टूटता है जब धरा के, सब्र का बांध,

"रिमझिम बारिश"

टूटता है जब धरा के, 
सब्र का बांध,
गिरती है रिमझिम बारिश की बूंँदे,
धरा की प्यास बुझाने के लिए।

धरतीपुत्र की जान में जान आती है,
और नये बीज में अंकुर फूटते हैं,
पत्तों से ओस की बूंँदे गिरती है और,
 एक आशिक को अपनी प्रेयसी याद आती है। 

गली मोहल्लों में पानी का प्रवाह बहता है,
बच्चों को कागज़ की नाव याद आती है,
और एक दूर बैठे प्रीतम को,
अपनी प्रियतमा याद आती है।

रिमझिम बारिश है, 
एक ऐसा अनछुआ अहसास,
के कोई भीगता है मीठी यादों से,
तो कोई भीगता है अपने आँसूओ से।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-1

#रिमझिम
#kkरिमझिम
#कोराकाग़ज़रिमझिम
#रिमझिमकविता
#विशेषप्रतियोगिता
#collabwithकोराकाग़ज़
"रिमझिम बारिश"

टूटता है जब धरा के, 
सब्र का बांध,
गिरती है रिमझिम बारिश की बूंँदे,
धरा की प्यास बुझाने के लिए।

धरतीपुत्र की जान में जान आती है,
और नये बीज में अंकुर फूटते हैं,
पत्तों से ओस की बूंँदे गिरती है और,
 एक आशिक को अपनी प्रेयसी याद आती है। 

गली मोहल्लों में पानी का प्रवाह बहता है,
बच्चों को कागज़ की नाव याद आती है,
और एक दूर बैठे प्रीतम को,
अपनी प्रियतमा याद आती है।

रिमझिम बारिश है, 
एक ऐसा अनछुआ अहसास,
के कोई भीगता है मीठी यादों से,
तो कोई भीगता है अपने आँसूओ से।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-1

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