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मै मोम की गुड़िया नहीं जो रो रो कर पिघल जाऊंगी मै स

मै मोम की गुड़िया नहीं जो रो रो कर
पिघल जाऊंगी
मै सूरज हु जो एक नई सुबह लाऊंगी
हो गा वो मेरा दुश्मन जो अब खाये गा
मुझपे तरस
देखे गा अब पूरी दुनिया मेरा हिम्मत
का लोहा अब के बरस
ऐ आंसुओ तुम जान लो अब मै
कमज़ोर नहीं
अब मै नहीं बहु गी तुम्हारी बहाओ मे
मै निखत हु निखत बस महक कर
सारी गुलशन को मै महकाऊंगी

©NIKHAT الفاظ جو دل کو چھو لے
  #निखत फूलो की  प्रशांत की डायरी Dil E Nadan Shiv Narayan Saxena Aditya kumar prasad ADV.काव्या मझधार( DK) महाकाल उपासक  Madhusudan Shrivastava अभिषेक योगी (alfaaz_बावरे) Riti sonkar Lalit Saxena Arshad Siddiqui  Riti sonkar डॉ.वाय.एस.राठौड़ (.मीत.) ग्वालियर poet Samiksha jaga SHWETA DAYAL SRIVASTAVA Ashraf Fani【असर】  shashi kala mahto Anamika Sharma Shweta Srivastava Gargi Adhuri Hayat Nikhat