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White उम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर य

White उम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर 
ये जानते हुए भी प्रेम में पड़ जाती है कि,इस उम्र में ठगी जाएंगी....
मगर फिर भी संजीदा  होती है,आ जाता है उन्हें खुदके लिए वक्त निकाल कर जुल्म से निपटना,
शौहर के गुमराह नैनो पे पैनी नजर रखना....
रिश्तों में दोहरेपन झेलती हुए,बावर्ची खाने में खुदको मसरूफ कर लेना,तो कभी पुराने नोट्स के पन्ने पलटने_लिखने में,
खुदको तरन्नुम में  गुनगुना लेना,कभी खुद पर तवज्जो से निहारकर  निखार लेना,इस मानिंद खुदको खुद में तलाशती,
अपने ही घर में खामोशी इख्तियार कर लेना,दर हकीकत ये औरतें बहुत नादान होती है,बाहर से शालीन,और अंतर्मन में गमगीन होती है...
सच में उम्र रसीदा औरतें कितनी नादान होती है... 
Blog By....✍️
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Nightsउम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर ये जानते हुए भी प्रेम में पड़ जाती है कि,इस उम्र में ठगी जाएंगी,बिसराई जाएंगी....??

मगर फिर भी संजीदा  होती है,आ जाता है उन्हें खुदके लिए वक्त निकाल कर जुल्म से निपटना,शौहर के गुमराह नैनो पे पैनी नजर रखना,सास ननद देवर जेठ वगैरह वगैरह से निपटना....😎
रिश्तों में दोहरेपन झेलती हुए,बावर्ची खाने में खुदको मसरूफ कर लेना,तो कभी पुराने नोट्स के पन्ने पलटने
_लिखने में,खुदको तरन्नुम में  गुनगुना लेना,कभी खुद पर तवज्जो से निहारकर  निखार लेना,इस मानिंद खुदको खुद में तलाशती,अपने ही घर में खोकर खामोशी इख्तियार कर लेना,दर हकीकत ये औरतें बहुत नादान होती है,बाहर से संजीदा,और अंतर्मन में रंजीदा होती है...

फिर संभलते हुए अपने मयार में रहकर,खुदको मुआश्रे की दकियानूसी रिवाज में दफ्न कर मार देती है अपने सारे  एहसास और जज्बातों को,के तुम औरत हो अपने मयार में रहो,इसी सोच के दरमियान,उन्हे इजाजत नही होती अपनी मनमर्जी करने की,और हो जाती है समर्पित किसी अनजान बेपरवाह इंसान के लिए,जिसे उसके बड़ो ने उसके लिए चुना है, बतोरे खादीमा..??
सच में उम्र रसीदा औरतें कितनी नादान होती है... Blog By....✍️

#Nightsउम्र रसीदा औरते भी नादान होती है,वो अक्सर ये जानते हुए भी प्रेम में पड़ जाती है कि,इस उम्र में ठगी जाएंगी,बिसराई जाएंगी....?? मगर फिर भी संजीदा होती है,आ जाता है उन्हें खुदके लिए वक्त निकाल कर जुल्म से निपटना,शौहर के गुमराह नैनो पे पैनी नजर रखना,सास ननद देवर जेठ वगैरह वगैरह से निपटना....😎 रिश्तों में दोहरेपन झेलती हुए,बावर्ची खाने में खुदको मसरूफ कर लेना,तो कभी पुराने नोट्स के पन्ने पलटने _लिखने में,खुदको तरन्नुम में गुनगुना लेना,कभी खुद पर तवज्जो से निहारकर निखार लेना,इस मानिंद खुदको खुद में तलाशती,अपने ही घर में खोकर खामोशी इख्तियार कर लेना,दर हकीकत ये औरतें बहुत नादान होती है,बाहर से संजीदा,और अंतर्मन में रंजीदा होती है... फिर संभलते हुए अपने मयार में रहकर,खुदको मुआश्रे की दकियानूसी रिवाज में दफ्न कर मार देती है अपने सारे एहसास और जज्बातों को,के तुम औरत हो अपने मयार में रहो,इसी सोच के दरमियान,उन्हे इजाजत नही होती अपनी मनमर्जी करने की,और हो जाती है समर्पित किसी अनजान बेपरवाह इंसान के लिए,जिसे उसके बड़ो ने उसके लिए चुना है, बतोरे खादीमा..?? सच में उम्र रसीदा औरतें कितनी नादान होती है... Blog By....✍️ #Live #Trending #writersofindia #shamawritesBebaak

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