"नफ़रतों का लंगर" नफ़रतों का लंगर, लगा के बैठे थे दीन वाली गोली, खा के बैठे थे कुछ आये और खा गये, सबकुछ पचा गये कुछ भांप सा गये, और साथ ले गये पके हुए अनाज से, बीज कर लिये भर-भर फसल तैयार है, मेरे-तेरे लिए आज अब अहसास है, चूज़ी हैं नफरतें हैं दीखतीं तभी, जब अपना रुख करें शान्ति पाठ कर लूं, इनको जमा करूं इल्ज़ाम हों ठण्डे, तो लंगर मैं फिर करूँ। #NaveenMahajan नफ़रतों का लंगर