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यूहीं कवि नहीं कहलाते हम। इत्र की खुशबू से ज्यादा,

यूहीं कवि नहीं कहलाते हम।
इत्र की खुशबू से ज्यादा, कलम की स्याही की सुगंध भाती हैं हमें। #pen be a poet in your own way..
यूहीं कवि नहीं कहलाते हम।
इत्र की खुशबू से ज्यादा, कलम की स्याही की सुगंध भाती हैं हमें। #pen be a poet in your own way..