#इत्तेफ़ाक़ दो हमख्याल अजनबी नहीं होते कभी भूल जाता खुदा किस बंधन में बांधे इन्हें एक का दर्द ना जाने दूसरे को कैसे रुला दिया.... काश ओर इतेफ़ाक़ बस ऐसे ही नहीं हो सकता कुछ तो अधूरा रह गया होगा किसी जन्म में.....बंधन खींच लाता है.... जब कोई अपना लगा तभी ना आँखें नम हुई "मल्लिका " खामोश रही फिर शोर आखिर किस बात की थी..... चाय गहरा था, आखिर बिस्किट डूब गयी.... ©Mallika #mastmagan