रिश्तों में दरार आज रिश्तों में दरार जैसे कोई क़रार हो , भावनाओं का हाट में लगा व्यापार हो.. , प्रेम तो मूक भाषा,अब ये समझता है कौन , जैसे पुष्पों की सैय्या पर बिछा अंगार हो !१! आज गुमनो के महल में लिप्त तक़रार है , महोब्बत में भी महबूब का झूठा इक़रार है, कैसे यकीं करे आज लोगो की खुद्दारी पर , जब ख़ुद अपनो के हाथों में छुपी कटार है !२! ईर्ष्या,द्वेष,घृणा,कुढ़न का व्यापक भंडार है, मैं अस्तित्व के स्थायित्व होड़ में संस्कार है , शब्द सुमन का सत्कार अब करता है कौन , सिर्फ कवियों के पन्नो में श्रृंगार का विहार है !३! जहाँ माँ-बाप की ममता "राहुल" लाचार है , ये मानव नही वरन मानवता का तिरस्कार है , जब सदाचारी ही बन बैठा हो व्यभिचारी तो , सत्य ये की मानव पतन का प्रथम दावेदार है!४! #rishte आज रिश्तों में दरार जैसे कोई क़रार हो , भावनाओं का हाट में लगा व्यापार हो.. , प्रेम तो मूक भाषा,अब ये समझता है कौन , जैसे पुष्पों की सैय्या पर बिछा अंगार हो !१! आज गुमनो के महल में लिप्त तक़रार है , महोब्बत में भी महबूब का झूठा इक़रार है, कैसे यकीं करे आज लोगो की खुद्दारी पर ,