खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में, माँगा था जिसे हमने दिन रात दुआओं में, तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला, ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में। -#4$ खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में, माँगा था जिसे हमने दिन रात दुआओं में, तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला, ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में। -#4$