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कितना भी मारा कर मुझे सब कुछ हँसके सह लेती हूँ एक

कितना भी मारा कर मुझे
 सब कुछ हँसके सह लेती हूँ
एक तू ही तो बहन मेरी 
जिससे मैं बुरा-भला
कैसा भी कह लेती हूँ

©poet Samiksha jaga
  #humanrights