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अब सांसों के कारोबार में मुनाफा क्या है। मर चुका ह

अब सांसों के कारोबार में मुनाफा क्या है।
मर चुका हूं अंदर से अब बचा क्या है

ढलते सूरज से लेकर खिलते चांद तक यही सवाल है
हर रोज़ उठने में चलने में मज़ा क्या है।

©K F RANA
  #addiction  #cigarette #Zindagi