व्यथा!!!
क्या लिख दू जो, मेरे अस्तित्व के होने का प्रमाण बन सके,
दिन-प्रतिदिन, जूझते-डगमगाते मेरे जीवन की व्यथा को कह सके।
ऐसा क्या लिख दू कि, बिन-पूछे,बिन-कहे
मेरे शब्दों की चीत्कार सुनाई दे सके,
खोखले होते हुए शरीर में शेष बचे, विचारों को कह सके। #कविता#dhaage#Vow#imagism