निगाह-ए-इल्तिफ़ात से देखते हैं, नूरे-ए-खुदा सा हुस्न लिए, शर्म-ए-हया से इज़हार-ए-मोहब्बत करते नहीं, जब हम आरजू-ए-वस्ल करें, तो बस बहाना बना दिए। #Contest 20 (Hindi/उर्दू) 💌प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। 🎀 उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें 🎀 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें,