कुछ दिनों से में भटक गया था, किताबों की जगह फ़ोन में अटक गया था कुछ दिनों से में भटक गया था, किताबो की जगह फोन में अटक गया था, आज़ाद होना चाहता में इन किताबो से पर बाद में समझ आया किताबे स्कूल सी होती हैं, जिनमें कुछ बाउंड्री होती हैं जो हमें संस्कार देती है, और फ़ोन कॉलेज की तरह होते हैं बाउंड्री तो नहीं होती इनमें होता है सिर्फ रास्ता वो आप पर निर्भर करता है कि आप किस रास्ते पर चलते हो जहां कोई भी आप को रोकने टोकने वाला नहीं होता कॉलेज का रास्ता आसान तो नहीं होता पर ये समझ नहीं आता की चलना किस रास्ते पर है क्युकी ये आप को फ़ोन जैसे बहुत से फीचर्स देता हैं कुछ अच्छे फीचर्स होते हे ओर कुछ बुरे रास्ता आप का होता है चलना आप को पड़ता हैं पर बताता कोई नहीं कोन सा रास्ता अच्छा ओर कोन सा बुरा हैं #किताबों_की_जगह_फोन_में_अटक_गया_था #book_lover