#PulwamaAttack छिन्न- भिन्न बिखरे, अंग तुम्हारे किस मुख से उसे दे आऊं भाभी, माता या कहूं बहना, किस मुख से उन्हें बुलाऊं हां, मैं वही अवस्था, जिनसे ये सब है हारे तैयार हुए थे, विजय वरण को.. अब मृत्यु गले लगाए "देख विधाता, गोद में मेरी, तनय कई सोया है बेटी, माता, भाई -बंधु, सब सिसक- सिसक रोया है हाय! मैं जननी न सही पर इस राधा के खातिर जाने कितने कर्ण आ गए, मेरी रक्षा खातिर" हां मैं, वही भारतेस्वरी, जिसको बचाने हेतु मर्दानी, प्रताप, भगत सहित, नए पुष्प खा गया केतु!! ©nonpoeticpoet #PulwamaAttack #Lines #new #poetry #hindi #nojotohindi #attack #terrorist #bharatkeveer