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आज माँ का एक रुप देखा , दिनभर बच्चों के काम किये ज

आज माँ का एक रुप देखा ,
दिनभर बच्चों के काम किये जा रही थीं,
अपनी उलझने भुलाकर उन्हें सुलझाना सीखा रही थी,
अपने खट्टे मीठे अनुभवों से उन्हें जीना सीखा रही थी,
अपनी सहनशीलता का परिचय जता रही थी,
नामचिन चाय की चुस्कियों के साथ दिन बनाये जा रही थी,
उनके हर एक पल को तराशती जा रही थी,
नाजुक सी कलियों को फूल बनना सीखा रही थी,
अपनी सतयुग की कहानियां इस कलयुग में सुनाए जा रही थी,
अपने भोलेपन से सभी के दिलों को जीतना सिखाए जा रही थी,
सिर्फ वो ही ये सब करे जा रही थीं,
अपने बच्चों को प्रत्यक्षता का ज्ञान कराए जा रही थी,
अपनी ही ममता को लुटाये जा रही थी,
बहुत प्यार दुलार से बात किये जा रही थी,
और इन्ही बातो के जरिये सब कुछ सिखाये जा रही थी,
ज़िन्दगी का मतलब बताये जा रही थी,
इस संसार मे अपनी महत्वता को बनाये जा रही थी,
थोड़ा ध्यान से देखा तो साक्षात देवी सी प्रतीत हो रही थी।।

©अर्पिता #माँ का रूप
आज माँ का एक रुप देखा ,
दिनभर बच्चों के काम किये जा रही थीं,
अपनी उलझने भुलाकर उन्हें सुलझाना सीखा रही थी,
अपने खट्टे मीठे अनुभवों से उन्हें जीना सीखा रही थी,
अपनी सहनशीलता का परिचय जता रही थी,
नामचिन चाय की चुस्कियों के साथ दिन बनाये जा रही थी,
उनके हर एक पल को तराशती जा रही थी,
नाजुक सी कलियों को फूल बनना सीखा रही थी,
अपनी सतयुग की कहानियां इस कलयुग में सुनाए जा रही थी,
अपने भोलेपन से सभी के दिलों को जीतना सिखाए जा रही थी,
सिर्फ वो ही ये सब करे जा रही थीं,
अपने बच्चों को प्रत्यक्षता का ज्ञान कराए जा रही थी,
अपनी ही ममता को लुटाये जा रही थी,
बहुत प्यार दुलार से बात किये जा रही थी,
और इन्ही बातो के जरिये सब कुछ सिखाये जा रही थी,
ज़िन्दगी का मतलब बताये जा रही थी,
इस संसार मे अपनी महत्वता को बनाये जा रही थी,
थोड़ा ध्यान से देखा तो साक्षात देवी सी प्रतीत हो रही थी।।

©अर्पिता #माँ का रूप